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सफलता एक चुनौती

narendra jangid
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कल में पुराने अखबारों को पलट ही रहा था कि तभी अचानक मेरी नज़र एक खबर पर पड़ी जिसका शीर्षक था- आईएएस की परीक्षा पास न होने पर एक शख्स ने की आत्महत्या।
लोग हजारों सपने लिए घर से निकलते है और दुनिया को भूल कर रात दिन एक कर तैयारी में जुट जाते है। उनका एक ही सपना रहता है -कुछ कर दिखाना। हमेशा दिमाग में एक ही ख्वाब पलता है कि बस अब एक साल और फिर पूरी दुनिया अपनी मुट्ठी में।
जब आपके अरमानों को रंग लगते हैं तो लगता है कि सारी दुनिया आपके साथ है , हर चीज से अच्छा लगता है – हवाएं , पत्ते , बारिश , बाज़ार , दोस्त , सफ़र , खाना – पीना आदि आदि ……सब कुछ अपने करीब लगता है और सभी में एक अर्थ-सा महसूस होता है ! फिर वक़्त बदलता है तो ना जाने अचानक सब कुछ बदल जाता है और पाले हुए ख्वाब अनजान प्रतीत होने लगते है क्योकि उन्हें असफलता हाथ लग जाती है। और सपनो का घर एक ही पल में बिखर जाता है। शायद इसी उधेड़बुन में सहेजने -बिखरने के बीच ही ये जिन्दगी नए मापदंड बना देती है। जो सभी के साथ आज तक होता है। जब बहुत करीब से आप देखते हैं तो लगता है कि उस ख्वाब को स्थायी मानने की गलती ही तकलीफ देती है। हम सभी स्थितप्रज्ञ तो नहीं हो सकते हैं मगर इस अहसास से जिन्दगी ज्यादा खूबसूरत हो जाएगी कि बुरे वक़्त में अच्छे पलों को यादों से निकालकर आँखों के सामने दुबारा ज़िंदा कर लूंगा और ख़ुशी के हर पल को अपने खजाने में संजो लूँगा। । जिंदगी कई बार तसल्ली और कई बार ग़लतफ़हमी में रहना चाहती है। ये जिन्दगी तो बस यकीन की जंग है। लेकिन एक बार असफलता हाथ लगने पर उनकी हिम्मत टूट जाती है और आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते है। लेकिन आत्महत्या करने वाले को एक बार सोचना चाहिए की हम मनुष्य है , किसी देवत्त्व या स्थितप्रज्ञता को धारण करने वाले विशिष्ट नहीं है।इसीलिए यकीनन असफलता निराश करती है परन्तु यदि यही असफलता
हमारे सारे उत्साह, उम्मीद और सपनों का गला घोंट कर स्थाई तौर से हम पर हावी हो जाए और जिंदगी भर का मलाल दे जाए तो समझदारी नहीं है। माँ बाप की अपने बेटे के सपनो से कितनी आशाएं रहती है और वही बेटा असफलता से हार कर दुनिया को अलविदा कह देता है। जीवन रूकता नहीं है। ध्यान रहे कि निराश होकर घर बैठने वाले कभी किसी के लिए उदाहरण नहीं हो सकते हैं , किसी की जिंदगी में उमंगे पैदा नहीं कर सकते हैं और उनसे कोई सकारात्मकता नहीं ली जा सकती है।। अगर आप इस तरह की जिंदगी जी सकते हैं तो किसी को भी दोष नहीं दीजिएगा। क्योकि इस तरह कई लोग दुनिया में आये और अपनी पहचान को इसी तरह छुपा कर चले गए। अगर आप इसी तरह जिंदगी का गला घोंट देंगे तो दुनिया आपको थोड़े दिन ही याद रखेगी और अगर आप सफल व्यक्ति बन गए तो पूरी दुनिया आपके कदमों में होगी। कई बार निराश साथी पूछते हैं कि उनमें और किसी कामयाब में क्या फर्क है। बस यही फर्क है – वो ‘नीड़ का निर्माण फिर से ‘ वाले सिद्धांत पर काम करते हैं। जिस तरह पंछी आंधी तूफान से बिखरे हुए अपने नीड़ को बिना थके हारे फिर से बनाने में लग जाता है उसी तरह मनुष्य को भी असफलताओं और बाधाओं से बिना घबराएं फिर से जुट जाना चाहिए। उदाहरण बनने के लिए बस एक और प्रयास की आवश्यकता है – आत्मावलोकन करने के बाद कामयाबी के लिए किया गया गंभीर प्रयास। इसलिए थक हर कर बैठने से अच्छा है कि एक बार और प्रयास किया जाये। एक असफलता से खुद की जिंदगी को निराशा के अँधेरे में मत डालिए। अपनी निराशा के अँधेरे में एक उम्मीद की तीली जलाइए। कुछ अपने , कुछ सपने याद करें और नए सिरे से प्रयास करें। क्योकि वक्त रेत की तरह हाथ से फिसल जाता है। हमने जन्म दूसरों की कामयाबी पर ताली बजाने के लिए नहीं लिया है और ना ही जिंदगी का गला घोंटने के लिए। कई लोग विपरीत परिस्थतियों में भी हार नहीं मानते है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि सब कुछ भुला कर फिर से उसी काम में लग जाना। क्योकि कामयाबी पहाड़ पर रखे हुए उस दीये की तरह है जो दूर से ही दिखाई देता है और ये कामयाबी एक न एक दिन जरूर हाथ लगेगी और तुम
दुनिया के सामने एक मिशाल बन जाओगे। हजारों लोगों की भीड़ में तुम्हारा नाम गुंजेगा और तुम दुनिया के हीरो बन जाओगे। दुनिया के आगे पीढ़ियों तक उदाहरण बने रहोगे। सिर्फ एक कामयाबी सब परेशानियां भुला देगी। क्योकि किसी के सच कहा है कि वक्त सब सही कर देता है। इसलिए असफलताओं से कभी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि डट कर सामना करना चाहिए और हर पल मुस्कुराते हुए रहना चाहिए। हर पल मुस्कुराते रहना कठिन तो हो सकता है पर नामुमकिन नहीं है। इसलिए हमेशा रणबीर कपूर की फिल्म ये जवानी है दीवानी के शब्दों को याद रखिये-
मैं दौडना चाहता हूँ मैं चलना चाहता हूँ.. मैं गिरना भी चाहता हूँ लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता….
क्योकि चलते रहना ही जिंदगी है।

सफलता के लिए ये ४ लाइन है –
दुनिया का रिवाज पुराना है
पतझड़ को तो जाना है
अपनी फौलादी बाहें फैला
चुनौतियों को गले लगा
मंजिल तेरे कदम चूमेगी
धरती तो यूं ही घूमेगी
तुम को कर दिखलाना है

किसी ने सच कहा है की अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं – तो आप कर सकते हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं- तो आप नहीं कर सकते हैं और किसी भी तरह से …आप सही हैं.

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